चलो बुलाबा आया है : माँ वैष्णों देवी यात्रा ( Ma Vaishno Devi Yatra, Katra)

दिनांक : १४ अप्रैल , गुरुवार

वैसे तो इस यात्रा  की विधिवत शुरुआत कटरा, जम्मू से हुई । लेकिन मेरे लिए यह यात्रा १४ अप्रैल को ही शुरू हो गयी । पहले से पूर्व निर्धारित इस यात्रा का सबसे बड़ा फायदा इस यात्रा का सफलता पूर्वक संपन्न होना है ।

चलिए अब इस यात्रा सफर पर चलते हैं, १४ से १७ अप्रैल की ऑफिस से छुट्टी लेने के बाद १३ की सायं कालीन ड्यूटी करने के बाद, रात्रि ९ बजे ऑफिस से बाहर आकर सेक्टर ६२ से अपने घर जाने के लिए शहजहंपुर डिपो की बस का इंतज़ार करने लगे ।  किस्मत अच्छी थी की आनंदविहार बस स्टैंड नहीं जाना पड़ा और सेक्टर ६२ हाइवे से ही बस मिल गयी । मेरा अपनी पत्नी जी के साथ में अगले दिन यानि की १५ अप्रैल को सियालदह एक्सप्रेस से जम्मू का शाहजहांपुर से रिजर्वेशन था। इसीलिए एक दिन पूर्व ही अपने गृह जनपद जाना अनिवार्य था । फिलहाल बस मिली और भाग्य बस शीट भी, जो मेरे लिए प्रसन्नता की बात थी । ऑफिस करने की वजह से थकान भी आ रही थी और नींद भी । बस ५ मिनट रुकने के बाद चल दी । आगे हापुड़ पहुँचने से पहले ही घर पर आने की सूचना दे दी की सुबह तक आ जायेंगे । बस चलने के साथ साथ ठंडी हवा और खिड़की केपास शीट होने के कारण कब नींद आई पता ही नहीं चला । आँख जब खुली जब बस एक होटल पर रात्रि भोजन और जलपान के लिए रुकी । ३० मिनट रुकने के बाद बस चल दी और आगे मुरादाबाद, रामपुर और बरेली होते हुए सुबह के ६ बजे शाहजहांपुर पहुँच गए । पत्नी जी से बात हुई और शाहजहांपुर ही रुक गए । 



शाहजहांपुर की शान : हनुमतधाम (Hanumat Dham, Shahjahanpur)

दिनांक : २७ मार्च , दिन : रविबार 


अभी कुछ दिन पूर्व होली पर घर जाना हुआ । बड़े हर्ष उल्लास के साथ होली मनाई । होली के बाद घर से वापसी और नोएडा जाने से पूर्व ही हनुमतधाम जो की मेरे गृह जिले शाहजहांपुर में स्थित हैं, जाने का अवसर प्राप्त हुआ । वैसे तो शाहजहांपुर और पास के लोग पहले ही यहाँ जा चुके होंगे लेकिन कुछ जानकारी के लिए बताते चलें, कि अभी कुछ समय पूर्व निर्मित यह हनुमान जी का पावन  धाम है , जोकि जिले में विसरात रोड पर खन्नौत नदी के किनारे स्थित है । शहर के बस और रेलवे स्टैंड से २-३ किलोमीटर दूर है, यहाँ आप ऑटो, रिक्शा या फिर किसी भी प्राइवेट वाहन से बड़ी ही सुगमता से पहुँच सकते हैं । 

हनुमतधाम के पास ही काली माँ का पवन मंदिर है । शाम को यहाँ जाने में काफी अच्छा लगता है । चलिए इस सफर पर आगे चलते हैं । नैनीताल की तरह यहाँ भी अपनी पत्नी जी के साथ बाइक से जाना हुआ। हम लोग करीब सायं में ६ बजे हनुमतधाम पहुंचे, प्रसाद लेकर अंदर पहुंचे बड़ा ही सुन्दर दृश्य था ।

एक बार फिर नैनीताल का सफर (Once again on the way to Nainital)

काफी समय से ब्लॉग पर पोस्ट लिखने के बारे में सोच रहा था । अपनी शादी और व्यस्तता की वजह से कब जनबरी, फरबरी और मार्च गुजर गया पता ही नहीं चला । चलिए आज आप को एक बार फिर नैनीताल के इस खूबसूरत सफर पर लिए चलते हैं ।  ६ फरबरी को शादी समारोह और अन्य कार्यों की वजह से फरबरी माह में ही अपनी श्रीमती जी के साथ इस बार नैनीताल जाने का संयोग बना । 

हालांकि मैं पहले भी एक बार नैनीताल जा चुका था इस बार पत्नी जी के कहने पर अकस्मात ही प्रोग्राम बन गया । दिनांक १८ फरबरी, दिन गुरुबार की सुबह को इस यात्रा सफर की शुरुआत हुई । ऑफिस से मैंने पहले ही २ दिन गुरुबार और शुक्रबार का अवकाश ले लिया था, शनिवार और रविवार साप्ताहिक छुट्टी होने की वजह से ४ दिन हमारे पास थे । फिलहाल बुधवार को रात्रि ड्यूटी करने के बाद सुबह ही गाज़ियाबाद से अवध असम एक्सप्रेस पकड़कर बरेली तक जाना पड़ा। दुर्भाग्य से उस दिन यह ट्रैन लगभग ३ घंटे की देरी से चल रही थी । उधर मेरी पत्नी जी का फ़ोन आ रहा था की किस समय तक आप बरेली पहुँचोगे । 

अचानक प्रोग्राम बनाने का सबसे बड़ा नुकसान सफर के दौरान होता है ।  पहले तो एक बार को वैष्णो देवी माँ के मंदिर जम्मूतवी  जाने का मन हुआ । लेकिन वहां फिर कभी जाने के इरादे से नैनीताल जाना ही उचित लगा । चलिए अब यात्रा बृत्तान्त पर आगे चलते है । ऑफिस से रात्रि ड्यूटी करने के बाद सुबह गाज़ियाबाद स्टेशन पहुंचे , अवध असम (गुवाहाटी  एक्सप्रेस ) ट्रैन ११:२५ मिनट पर आयी जिसका यहाँ पहुँचने का निर्धारित समय ८ बजकर ४५ मिनट था । ट्रैन में भीड़ तो थी लेकिन फिर भी हापुड़ से आगे ऊपर की बर्थ पर शीट मिलने से रात्रि में जगे होने की कारण नींद से काफी आराम मिला । मुरादाबाद और  रामपुर होते हुए ट्रैन करीब ४:१५ बजे सायं को बरेली पहुंची । मेरी पत्नी जी तब तक अपने भाई जी के साथ १५ मिनट पहले ही बाघ एक्सप्रेस से यहाँ पहुँच गयीं थीं ।