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देहरादून और मसूरी यात्रा, उत्तराखण्ड Trip to Dehradun and Mussorie, Uttarakhand

दिनांक: २२-२३ सितम्बर २०१९         

देहरादून और मसूरी यात्रा का प्रोग्राम भी अचानक ही यात्रा से २-३ दिन पहले ही बना |  २३ सितम्बर को मेरे बेटे का जन्मदिन होता है | इस वर्ष  दूसरा जन्मदिन था | १९  सितम्बर को मेरी पत्नी जी से जन्मदिन मनाने के बारे में चर्चा हो रही थी इसी बीच  उन्होंने बताया कि उनके छोटे भाई यानि की मेरे छोटे साले जी विपुल भी कल नोएडा आ रहे हैं | बातों ही बातों में कब  देहरादून और मसूरी यात्रा का प्रोग्राम बन गया पता ही नहीं चला |



21 सितम्बर को नाईट ड्यूटी करने के बाद  ४ बजे रूम पर आ गए |  सुबह 7:00 बजे के आसपास गाजियाबाद से देहरादून शताब्दी ट्रेन थी जिससे हम लोगों को देहरादून जाना था |  सुबह कैब से  गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर 6:00 बजे आ गए | 

एक बार फिर नैनीताल का सफर (Once again on the way to Nainital)

काफी समय से ब्लॉग पर पोस्ट लिखने के बारे में सोच रहा था । अपनी शादी और व्यस्तता की वजह से कब जनबरी, फरबरी और मार्च गुजर गया पता ही नहीं चला । चलिए आज आप को एक बार फिर नैनीताल के इस खूबसूरत सफर पर लिए चलते हैं ।  ६ फरबरी को शादी समारोह और अन्य कार्यों की वजह से फरबरी माह में ही अपनी श्रीमती जी के साथ इस बार नैनीताल जाने का संयोग बना । 

हालांकि मैं पहले भी एक बार नैनीताल जा चुका था इस बार पत्नी जी के कहने पर अकस्मात ही प्रोग्राम बन गया । दिनांक १८ फरबरी, दिन गुरुबार की सुबह को इस यात्रा सफर की शुरुआत हुई । ऑफिस से मैंने पहले ही २ दिन गुरुबार और शुक्रबार का अवकाश ले लिया था, शनिवार और रविवार साप्ताहिक छुट्टी होने की वजह से ४ दिन हमारे पास थे । फिलहाल बुधवार को रात्रि ड्यूटी करने के बाद सुबह ही गाज़ियाबाद से अवध असम एक्सप्रेस पकड़कर बरेली तक जाना पड़ा। दुर्भाग्य से उस दिन यह ट्रैन लगभग ३ घंटे की देरी से चल रही थी । उधर मेरी पत्नी जी का फ़ोन आ रहा था की किस समय तक आप बरेली पहुँचोगे । 

अचानक प्रोग्राम बनाने का सबसे बड़ा नुकसान सफर के दौरान होता है ।  पहले तो एक बार को वैष्णो देवी माँ के मंदिर जम्मूतवी  जाने का मन हुआ । लेकिन वहां फिर कभी जाने के इरादे से नैनीताल जाना ही उचित लगा । चलिए अब यात्रा बृत्तान्त पर आगे चलते है । ऑफिस से रात्रि ड्यूटी करने के बाद सुबह गाज़ियाबाद स्टेशन पहुंचे , अवध असम (गुवाहाटी  एक्सप्रेस ) ट्रैन ११:२५ मिनट पर आयी जिसका यहाँ पहुँचने का निर्धारित समय ८ बजकर ४५ मिनट था । ट्रैन में भीड़ तो थी लेकिन फिर भी हापुड़ से आगे ऊपर की बर्थ पर शीट मिलने से रात्रि में जगे होने की कारण नींद से काफी आराम मिला । मुरादाबाद और  रामपुर होते हुए ट्रैन करीब ४:१५ बजे सायं को बरेली पहुंची । मेरी पत्नी जी तब तक अपने भाई जी के साथ १५ मिनट पहले ही बाघ एक्सप्रेस से यहाँ पहुँच गयीं थीं । 

कुमाऊं की खूबसूरत वादियाँ - नैनीताल यात्रा भाग -2

इस यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें 

१६ अगस्त २०१५ , रबिबार 

बड़ी अच्छी नींद आयी । मौसम ठंडा होंने की वजह से सुबह 8 बजे आँख खुली। फ्रेश होने और नास्ता करने के बाद 9 बजकर 30 बजे रूम से निकले । मैंने सुबह उठते ही यह निश्चय कर किया था की आज कहाँ घूमा जायेगा । अभी मेरे पास काफी समय था और काठगोदाम से दिल्ली जाने बाली ट्रेन भी रात में 9 बजे बजे थी । सबसे पहले तो नैनीताल की इस खूबसूरत माल रोड पर घुमते रहे और दूसरे सिरे पर पहुँच कर जिस तरफ से नैना पीक, राजभवन, नैनीताल की मुख्य बाजार, रोपवे पॉइंट आदि है। इस तरफ से झील बहुत ही सुन्दर दिखाई दे रही थी। पास में ही नैनीताल का स्टेडियम भी झील के बिलकुल पास सुन्दर प्रतीत हो रहा था । कुछ बच्चे फुटबाल और बॉलीबाल खेल रहे थे । 


नैनीताल में माल रोड के ठीक सामने की सड़क जिसे ठंडी सड़क के नाम से जानते हैं । मैं स्टेडियम के पास से घूमते हुए नैना देवी मंदिर में पहुंचा । कुछेक फ़ोटो और मंदिर दर्शन करने के बाद ठंडी सड़क पर था । क्या खूबसूरत नजारा था इसे सब्दों में वयान करना कठिन है। ठंडी सड़क पर झील के किनारे चलते हुए अच्छा लग रहा था। इसी सड़क पर बीच में और भी मंदिर हैं फ़ोटो लिए । काफी समय हो गया था पैदल ही चलते हुए भूंख भी लगने लगने लगी थी । पेट्रोल पम्प के पास ही एक होटल पर गरमागरम आलू के परांठे सब्जी के साथ नास्ते में लिए । तब तक सुबह के 11 बज चुके थे । मौसम कल की तरह आज भी ख़राब होने लगा था और हल्की  बारिश भी शुरू  हो गयी। मेरा मन चिड़ियाघर देखने का था । पर मौसम की वजह से नहीं जा पाया । अगली  बार जब भी जाना होगा तो अवश्य जाऊंगा । 


कुमाऊं की खूबसूरत वादियाँ - नैनीताल यात्रा भाग -१

१५ अगस्त २०१५, शनिवार 


ब्लॉग पर कोई पोस्ट लिखे हुए काफी समय हो गया था और यात्रा किए हुए भी । इस बार भी साप्ताहिक अवकाश होने के कारण इस २ दिवसीय यात्रा का संयोग बना और यह निस्चय किया कि नैनीताल जाया जाये । शुक्रबार को रात्रिकालीन ड्यूटी करने के बाद सुबह ६  बजे अपने इस सुनहरे सफर के लिए नोएडा से प्रस्थान किया ।  ६:४० बजे ग़ाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन पहंचे । हमारी ट्रैन ऊना हिमाचल एक्सप्रेस के आने में अभी ४५ मिनट का समय था । इसी बीच कुछ जलपान करने के पश्चात ट्रैन का इंतज़ार करने लगे । ट्रेन अपने निर्धारित समय ७:०५ मिनट पर १ नंबर प्लेटफॉर्म पर आई । १५ अगस्त होने के कारण भीड़ कम थी फिलहाल शीट मिल गयी । यह ट्रैन वैसे तो दिल्ली से बरेली तक जाती है लेकिन मेरा सफर मुरादाबाद तक ही था ।

करीब १० मिनट रुकने के बाद ट्रैन चल दी । अपने इस सफर के दौरान ही मैंने यह निस्चय किया की पहले ट्रैन से मुरादाबाद चलते हैं फिर वहां से किसी ट्रेन या बस से हल्द्वानी और कठगोदाम होते हुए नैनीताल जायेंगे । नैनीताल नाम सुनकर मन बहुत ही प्रफुलित हो रहा था । खैर हापुड़ , गजरौला , गढ़ और अमरोहा रुकते हुए करीं ११ बजे हम मुरादाबाद पहुंचे । इसी बीच रात्रि के जगे होने के कारण थोड़ी नींद भी पूरी कर ली गयी ।  मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर हल्द्वानी य काठगोदाम जाने वाली ट्रैन के बारे में पता किया तो पता चला कि २:३० बजे काठगोदाम पैसेंजर है । बिना कछ सोचे हुए ट्रैन से काठगोदाम जाने का बिचार त्याग दिया । रेलवे स्टेशन के बाहर से ही ऑटो करते हुए करीब १० मिनट बाद मुरादाबाद के उत्तराखण्ड बस स्टैंड पर पहुंचे । मै यहाँ पर १ साल पहले भी हल्द्वानी जाते समय बस से गया था ।


जाना था राजा का सहसपुर पँहुच गये हल्द्वानी

वैसे तो मेरी इस उत्तराखण्ड की यात्रा की कोई पूर्व योजना नहीं थीं। लेकिन हाँ एक दोस्त कि शादी  में राजा का सहसपुर जाना था। यह स्थान जिला मुरादाबाद में चन्दौसी रोड पर स्थित एक छोटा रेलवे स्टेशन है। इस पूर्व योजना के तहत मुझे सुबह में ऊना हिमांचल एक्सप्रेस ट्रैन (१४५५६ ) से राजा क सहसपुर जाना था। जिसका वहाँ पहुँचने क समय १०:३० बजे है। फिलहाल इसी तैयारी में मै सुवह ६:३० बजे गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुँच गया। जाकर राजा का सहसपुर क टिकट ले लिया । ६६ रुपये का टिकट था टिकट लेने के बाद जब ऊना हिमांचल ट्रेन का यहाँ पहुँचने क समय पता किया। ट्रैन निर्धारित समय ६:५५ मिनट से ३० मिनट देरी से चल रही थी।


पहली बार नीलकंठ महादेव और ऋषिकेश

वैसे तो पहले से ही नीलकंठ महादेव और ऋषिकेश जाने के बारे में सोच रहा था , बस इंतजार था समय का। अभी शनिबार को ऑफिस से जल्दी छुट्टी हो जाने के कारण इसी दिन जाने का पूर्ण निस्चय किया। पिछली बार मै इन्हीं दिनों हरिद्वार तक तो गया था। इस बार ऋषिकेश तक जाने कि योजना थी। एक मित्र जी को फोन किया लेकिन समय न होने के कारण असमर्थता बता दी। फिलहाल अकेले ही निकलना पड़ा। मैंने यह तय किया था कि शनिबार कि शाम में साहिबाबाद से ट्रैन से चलकर हरिद्वार और ऋषिकेश घूमकर रबिबार रात तक बापस आ जायेंगे।

हरिद्वार यात्रा



Yah bat kuch din pahle ki hai . Jb me Meerut  me rhta  tha. Tb achanak se haridwar jane ka subh avsar prapt hua. Me jis hostal me rah rha tha vahan par aur bhi saath me dost rahte the . Hamare landlord ki taraf se Haridwar jane ka plan bana. Program ke anusar yah nischit hua ki early morning me meerut se chala jayega aur dopahar tak haridwar pahunch  kr ghoom lenge phir vapus me roorke bhi ghooma lenge. Hum sbi bahut khush the kyonki mujhe aur mere kuch mitra logon ko first time haridwar jo jana tha. Hum karib 20 log the . Isliye sabhi logo ne private vehicle se jane ka nischay kiya. Ek din pahle hi sari tyari kr li gayi photo lene ke liye camere bhi tyar kr liye gaye. Proper scheduling ke bad hum morning (6:00 am)  me jaldi hi uth  jaldi se fresh huye. Aur 7 baje tk ready ho gye. Hostal ke vahar 2 jeep (scorpo, marshal) hum logon ka wait kar rahin thi. Kuch photo bhi liye gaye aur 7:30 am pr hum haridwar ke liye chal diye.

हरिद्धार जाने के लिए तैयार 


मेरी पूर्णागिरी यात्रा


Hi friends yah meri pahli blog posting hai. Please ap jarur batana kaisi lagi yah posting.

Jab me class10 me tha.Tab pahli bar poornagiri mandir jane ka sanyog bana. Apki jankari ke liye batate chalen ki Poornagiri Madir Uttrakhand state ke Champawat distt me Tankpur ke pas hai. Yah sthan mere yhan se kareeb 200 km padta hai. Bahut hi religious place hai. Maine apne 4 aur friends ke sath jane ka program banaya.Us samay may month tha aur mela bhi chal rha tha. Apne program ke hisab se hmne morning me 6am wali train se chalne ka vichar kiya. Ham 5 log right time 5:30 am pr shahjahnpur distt ke mini railline pr pahunch gye. Train plateform pr lag gyi thi. Yah meri apni samajh me pahli rail yatra thi. Train me kafi bheed thi phir be sbi logo ko sheet mil gyi. Aur train 6:30 pr plateform se rawana hui. Man me itni utsukta thi ki yun hi bata nhi skte.Hum log ghar se propr khane ki vyawastha krke chale the. Dheere dheere train chalti gyi aur hum log apas me bate krte rahe. 11.00 am ke kareeb train Pilibhit station pr pahunchi. Sabhi logo ne lunch kiya. Actual me hum sb ne plan banaya tha ki morning me chalke agle din even tk vapas bhi aana hai. Apki jaankari ke liye batate chale ki poornagiri mandir ke darsan ke saath saath Sidh Baba Mandir ke bhi daran krna subh mana jata hai jo Nepal me hai.