एक बार फिर ऋषिकेश और सहस्त्रधारा,देहरादून यात्रा

दिनांक : १ अप्रैल                                    दिन : शनिवार





वैसे तो पहले से ही इस यात्रा पर जाने का मन था लेकिन किसी ना किसी वजह से जाना नहीं हो पाया ।  आखिरकर इस सफर की सुरुआत शनिवार को ग़ाज़ियाबाद से चलने वाली ट्रैन के साथ हो ही गयी । वैसे तो इस सप्ताह मुझे शुक्रवार को ही चलना चाहिए था लेकिन अंतिम समय पर निर्णय लेने के कारण ऐसा हुआ । चलिए कोई नहीं एक दिन देर सही । शनिवार दोपहर को लेटे हुए ही आखिरकर देहरादून जाना निश्चित हो गया क्योंकि ऋषिकेश तो एक बार पहले भी नीलकंठ महादेव मंदिर जाते समय जा चुका था । तो बेग पैक करके शनिवार सांय ४ बजे रूम से निकल गए । नॉएडा होने की वजह से मेरे यहाँ से ग़ाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन पास पड़ता है । ऑटो किया और ५:२० बजे ग़ाज़ियाबाद स्टेशन पहुँच गए । दिल्ली से ऋषिकेश जाने वाली ट्रेन का यहाँ पहुँचने का समय ६ बजकर २५ मिनट था । फिलहाल ५ मिनट की देरी से ट्रैन आयी । लोकल ट्रेन होने की वजह से ज्यादातर यात्री मोदीनगर, मेरठ या फिर मुज्जफरनगर के ही थे । कम ही यात्री हरिद्वार और ऋषिकेश जा रहे थे । ऊपर की शीट मिल गयी । ट्रैन चल दी और ८ बजे मेरठ पहुंची । थोड़ा सा नास्ता किया और चाय पी । उसके बाद फिर धीरे धीरे नींद आने लगी ।

रात्रि में आँख खुली १२:१५ बजे तब तक सहारनपुर पहुँच चुके थे । यहाँ करीब ४५ मिनट रुकने के बाद १ बजे ट्रैन चली । फिर रुड़की , लक्सर , होते हुए  सुबह ४ बजे हरिद्धार पहुंचे । हरिद्धार मैं पहले भी ३ बार जा चुका था इसलिए रिषिकेश ही उतरे । तब तक सुबह के ५:४० बज चुके थे और ट्रैन के साथ मैं पहाड़ो की गोद में था । बड़ा ही शानदार नजारा था साथ ही तेज हवा भी चल रही थी । रेलवे स्टेशन से बाहर आये १० रुपये देकर एक ऑटो करके रामझूला जाने वाले ऑटो में बैठ गए । मुझे देहरादून जाना था इसलिए नटराज चौक पर उतर गए थोड़ी देर देहरादून जाने वाली बस का इंतज़ार किया लेकिन बस नहीं आयी तो पैदल ही पास में लगभग ३०० मीटर चलकर ऋषिकेश के बस अड्डे पहुँच गए । यहाँ भी सुबह होने की वजह से अभी देहरादून की कोई बस नहीं थी ज्यादातर बसें हरिद्वार , दिल्ली , मेरठ , मुजफ्फरनगर या फिर उत्तराखंड के पर्वतीय कस्बो जैसे चम्बा, चमोली आदि जगह जा रही थी । थोड़ी देर इंतज़ार करने और फोटो लेने के बाद आखिरकार ७ बजे देहरादून होते हुए चंडीगढ़ जाने वाली बस में मेरी फेवरेट खिड़की वाली सीट मिल गयी ।

५ मिनट रूककर बस चल दी देहरादून तक का ५० रूपए का टिकट लिया । जोली ग्रांट एयरपोर्ट होते हुए ९ बजे देहरादून isbt पहुंच गए । उतरकर ५ नंबर ऑटो से मात्र  १० रुपये देकर सीधे पहुंचे घंटाघर चौक जहाँ से पर्वतीय भागों मसूरी , सहस्त्रधारा आदि जगह जाने के लिए बस या टेम्पो, ऑटो मिलते हैं । अब मुझे सहस्त्रधारा जाना था चाय और कुछ नास्ता किया साथ ही २५० ग्राम अंगूर भी ले लिए । एक २ नंबर ऑटो किया जो रजपुर रोड आईटी पार्क सहस्त्रधारा तक जाता है में बैठ लिए  वैसे देहरादून में महानगर बस सेवा भी काफी अच्छी है जिससे घंटाघर से सीधे सहस्त्रधारा तक केवल १७ रुपये में जा सकते हैं । वापसी में आते समय मुझे इस बात का पता चला । तो  २ नंबर ऑटो किया जो रजपुर रोड आईटी पार्क तक ही जाता है उतर गए फिर एक दूसरी महानगर बस से सहस्त्रधारा पार्क तक पहुंचे । देहरादून से सहस्त्रधारा पार्क ११ किलोमीटर है । बस से उतरकर मुख्य पार्क तक करीब ५०० मीटर पैदल चलना होता है । जब तक सहस्त्रधारा पार्क पहुंचे तब तक दोपहर के ११ बजकर २० मिनट हो गए थे ।

क्या शानदार नजारा था चारो तरफ ऊँचे ऊँचे पहाड़ और नदी के को रोककर बनाये गए अनगिनत तालाब, वाटर और मनोरंजन पार्क साथ ही पास में द्रोण गुफा, मंदिर और गुफाओं से रिशता लगातार पानी । सब कुछ अलौकिक और इसे वहां जाये विना नहीं महसूस कर सकते ।

चलिए अब बाँकी यात्रा कहानी फोटो की जुवानी :-


सुबह सुबह ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर
ऋषिकेश बस स्टैंड


सहस्त्रधारा जाने का मार्ग, मुख्य पार्क आधा किलोमीटर आगे है

एक बोद्ध मन्दिर




गुफा की छत से लगातार पानी का रिसाव होता रहता है , शिवालिक की पहाड़ियों में स्थित होने के कारण इस तरह की गुफाएं अपने आप में अद्धभुत हैं



ऊपर पास में ही वाटर और मनोरंजन पार्क भी है, बच्चों और परिवार के साथ समय विताने की अच्छी जगह है
पानी के श्रोत को रोककर ऐसे कई सारे तालाब बनाये गए हैं





करीब २ घंटे का समय विताकार और एक होटल पर लंच करके महानगर बस सेवा से ही वापसी में सीधे घंटाघर चौक पहुंचे और वहां से ऑटो करते हुए देहरादून रेलवे स्टेशन यहाँ पास में ही देहरादून का पर्वतीय बस स्टैंड भी है  । तत्काल में ही सायं को ग़ाज़ियाबाद होते हुए दिल्ली जाने वाली १४०४२ मसूरी एक्सप्रेस का स्लीपर टिकट बुक कर लिया । और फिर रेलवे प्रतीक्षालय में सांय तक आराम किया । इसी बीच चाय के साथ कुछ जलपान भी किया और ६ बजे रात्रि भोजन । ८:३० बजे ट्रैन आकर लग गयी आराम से शीट मिल गयी और सुबह ७ बजे ग़ाज़ियाबाद होते हुए ८:४० बजे रूम पर वापस आ गए ।

वैसे तो यह यात्रा अच्छी रही और थोड़ा समय का अभाव रहा । लेकिन फिर भी सहस्त्रधारा पार्क और देहरादून घूमना काफी अच्छा लगा । आपके सुझाव का इंतज़ार रहेगा और फिर ले चलेंगे एक नए सफर पर ।


5 comments:

  1. रोचक विवरण। जब मैं देहरादून में रहा करता था तो एक बार इधर गया था। आपने याद ताज़ा कर ली।

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  2. धन्यबाद विकास जी ।

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  3. बढिया नितिन जी। मै भी कई बार सहस्त्रधारा गया हूं,,, लेकिन अब काफी समय हो गया उधर गए। यादें ताजा हो गई

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    1. धन्यबाद सचिन भाई |

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  4. आपका व्याख्यान सरल और सुंदर है। मेरा यह लेख भी पढ़ें देहरादून में घूमने की जगह

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